Friday, December 31, 2010

"मै कवि हूँ मुझे नहीं पता"

मै अंजान काव्य से
लिखने बैठा कविता
सोच रहा हूँ क्या है कविता
क्या जो मै लिख रहा हूँ वो है कविता |

शायद कविता मीठी वाणी की तरहां होती
शायद व् बच्चे की किलकारी की तरहां होती
शायद वो बच्चे के प्रति माँ के प्रेम  की तरहां होती
शायद ये गुड़ की मीठी मिठास की तरहां  होती |

मै क्या कवी हूँ
पर मै लिख रहा हूँ कविता
शायद ये ही है कविता
मै कवि हूँ मुझे नहीं पता |

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