Sunday, January 9, 2011

दो कंधो पर हमारा देश

आज बादले हूए इस युग में, हमारे देश में, हमरी टेक्नोलोजी में, हमारी अर्थव्यवस्था  में, और तो और हमारे समाज में भी बादलाव आ रहा है। और जैसे-जैसे समाज मे बदलाव अएगा वेसे-वेसे युवाओ में बदलाव अयेगा,      
अगर युवा का समाज सभ्य और नई सोच व एक द्र्श्टीकोण का होगा। तभी हमरा देश उनत्ती के शीखर तक पहुच सकता है। एक बात ये भी है कि नेता और अफसर ही हमे व हमारे देश को भ्रष्ट करते हैं। और इस भ्रष्टाचार से ये ही हमें बचा सकते हैं। ये ही हमरे देश के दो कंधे हैं।..........

                                               
   "उगता सूरज हमारे देश का
      कही सपना ना रहजाये
        जब तक एक न होगा युवा
          तब तक भ्रष्टाचार से ना छुटेगा
            पीछा हमारा"।