मै अंजान काव्य से
लिखने बैठा कविता
सोच रहा हूँ क्या है कविता
क्या जो मै लिख रहा हूँ वो है कविता |
शायद कविता मीठी वाणी की तरहां होती
शायद व् बच्चे की किलकारी की तरहां होती
शायद वो बच्चे के प्रति माँ के प्रेम की तरहां होती
शायद ये गुड़ की मीठी मिठास की तरहां होती |
मै क्या कवी हूँ
पर मै लिख रहा हूँ कविता
शायद ये ही है कविता
मै कवि हूँ मुझे नहीं पता |
Friday, December 31, 2010
Friday, August 6, 2010
"शायद में पंछी होता"
मै पंछी होता तो
जो मन करता वो मै करता
इधर भी जाता उधर भी जाता
उडता फिरता नील गगन में |
शाम होती तो आ सोजाता
सुबह होती तो फिर उड़ जाता
जा बैठता मीठे बागानों में
जी.. भर खाता फिर मै जाता नीर किनारे |
ले साथियों को उड़ जाता मै नील गगन में
उड़ जाता मै मिलो... मिल चला जाता मै उस दुनिया में
जहाँ न कोई टोक ता किसी को
जो मन करता वो मै करता
शायद मै पंछी होता |
जो मन करता वो मै करता
इधर भी जाता उधर भी जाता
उडता फिरता नील गगन में |
शाम होती तो आ सोजाता
सुबह होती तो फिर उड़ जाता
जा बैठता मीठे बागानों में
जी.. भर खाता फिर मै जाता नीर किनारे |
ले साथियों को उड़ जाता मै नील गगन में
उड़ जाता मै मिलो... मिल चला जाता मै उस दुनिया में
जहाँ न कोई टोक ता किसी को
जो मन करता वो मै करता
शायद मै पंछी होता |
Thursday, August 5, 2010
"शायद में पंछी होता"
मै पंछी होता तो
जो मन करता वो मै करता
इधर भी जाता उधर भी जाता
उडता फिरता नील गगन में |
शाम होती तो आ सोजाता
सुबह होती तो फिर उड़ जाता
जा बैठता मीठे बागानों में
जी.. भर खाता फिर मै जाता नीर किनारे |
ले साथियों को उड़ जाता मै नील गगन में
उड़ जाता मै मिलो... मिल चला जाता मै उस दुनिया में
जहाँ न कोई टोक ता किसी को
जो मन करता वो मै करता
शायद मै पंछी होता |
जो मन करता वो मै करता
इधर भी जाता उधर भी जाता
उडता फिरता नील गगन में |
शाम होती तो आ सोजाता
सुबह होती तो फिर उड़ जाता
जा बैठता मीठे बागानों में
जी.. भर खाता फिर मै जाता नीर किनारे |
ले साथियों को उड़ जाता मै नील गगन में
उड़ जाता मै मिलो... मिल चला जाता मै उस दुनिया में
जहाँ न कोई टोक ता किसी को
जो मन करता वो मै करता
शायद मै पंछी होता |
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