Friday, August 6, 2010

"शायद में पंछी होता"

मै पंछी होता तो
जो मन करता वो मै करता
इधर भी जाता उधर भी जाता
उडता फिरता नील गगन में |

शाम होती तो आ सोजाता
सुबह होती तो फिर उड़ जाता
जा बैठता मीठे बागानों में
जी.. भर खाता फिर मै जाता नीर किनारे |

 ले साथियों को उड़ जाता मै नील गगन में
उड़ जाता मै मिलो... मिल चला जाता मै उस दुनिया में
जहाँ न कोई टोक ता किसी को
जो मन करता वो मै करता
 शायद मै पंछी होता |

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