मै पंछी होता तो
जो मन करता वो मै करता
इधर भी जाता उधर भी जाता
उडता फिरता नील गगन में |
शाम होती तो आ सोजाता
सुबह होती तो फिर उड़ जाता
जा बैठता मीठे बागानों में
जी.. भर खाता फिर मै जाता नीर किनारे |
ले साथियों को उड़ जाता मै नील गगन में
उड़ जाता मै मिलो... मिल चला जाता मै उस दुनिया में
जहाँ न कोई टोक ता किसी को
जो मन करता वो मै करता
शायद मै पंछी होता |
No comments:
Post a Comment